बदायूँः 04 नवम्बर। डूबने से होने वाली जनहानि को रोकने के लिए जनपद के समस्त घाटों पर चौपालें आयोजित की जाएंगी। जिलाधिकारी मनोज कुमार ने इसके लिए मुख्य चिकित्साधिकारी, मुख्य पशु चिकित्साधिकारी, जिला पंचायत राज अधिकारी, डी०पी०ओ० बाल विकास एवं पुष्टाहार, बेसिक शिक्षा अधिकारी, अधिशासी अभियन्ता बाढ खण्ड, उपजिलाधिकारी, पुलिस उपाधीक्षक, अधिशासी अधिकारी तहसीलदार, तहसील बदायूँ सहसवान, दातागंज को घाट चौपाल आयोजित कराने के निर्देश दिए हैं। प्रदेश सरकार द्वारा वर्ष 2021 में डूबने से होने वाली जनहानि को राज्य आपदा घोषित किया गया है। डूबने से होने वाली जनहानि के बारे में आम जनमानस को जागरूक कर, जलश्रोत, घाट पर “क्या करें व क्या न करें के संबंध में लोगों को जानकारी देकर इस प्रकार की घटनाओं से रोका जा सकता है।
उन्होंने बताया कि जनपद के समस्त घाटों पर आयोजित होने वाली “घाट चौपाल“ में मल्लाह व गोताखोर समुदाय, नौका संचालक, स्वयंसेवी संगठन के व्यक्तियों व ग्राम प्रधान के साथ-साथ राजस्व, सिंचाई, पुलिस, स्वास्थ्य, पशुपालन, पंचायती राज, बाल विकास एवं पुष्टाहार, शिक्षा आदि अन्य संबंधित विभागों के क्षेत्रीय, ग्राम स्तरीय कर्मचारी एवं प्रतिनिधि अनिवार्य रूप से प्रतिभाग करेंगे। घाट चौपाल का उद्देश्य मुख्य रूप से डूबने से होने वाली जनहानियों को रोकना, न्यूनीकृत करना तथा ग्रामीण स्तर पर आम जनमानस को डूबने से बचाव के प्रति जागरूक कर समुदाय का क्षमता संवर्द्धन किया जाना है।
घाट चौपाल में संबंधित गांव के मल्लाह व गोताखोर, नौका संचालक, ग्राम प्रधान के साथ-साथ लेखपाल, ग्राम विकास अधिकारी, अवर अभियन्ता (सिंचाई), एन०एन०एम०, आशा, आंगनबाडी, अध्यापक, पशुपालन विभाग के कर्मचारी अनिवार्य रूप से उपस्थित रहेंगे और ग्रामवासियों के साथ समन्वय व सम्पर्क स्थापित करते हुए आगामी चुनौतियों के संबंध में रणनीति निर्माण में सहयोग प्राप्त करेंगें।
प्रत्येक घाट पर आयोजित होने वाली “घाट चौपाल“ में क्षेत्रीय मल्लाह समुदाय तथा नौका संचालन, घाट प्रबन्धन से जुड़े हुए व्यक्तियों तथा गोताखोर, तैराकों को अनिवार्य रूप से सम्मिलित किया जायेगा एवं उनको नदी में होने वाली डूबने की घटनाओं में राहत व बचाव कार्यों में सहभागिता हेतु प्रोत्साहित किया जायेगा। डूबने से होने वाली जनहानि को न्यूनीकृत किये जाने हेतु “घाट चौपाल“ के अन्तर्गत क्षेत्रीय नागरिकों व मल्लाहों, नौका संचालक व गोताखोर, तैराकों को घाट सुरक्षा मानकों व सी०पी०आर० का प्रशिक्षण भी प्रदान किया जायेगा, जिससे कि प्रभावित व्यक्ति को समयान्तर्गत उपचार प्रदान कर बचाया जा सके। “घाट चौपाल“ में प्रतिभाग किये नागरिकों, मल्लाहों नौका संचालक व गोताखोर, तैराकों की प्रतिभागिता क्षेत्रीय आयोजन/मेला/बड़े धार्मिक स्नान/पर्व आदि के समय सुनिश्चित की जायेगा, जिससे कि वह आने वाले श्रद्वालुओं/पर्यटकों/अन्य को सुरक्षा मानकों एवं क्या करें व क्या न करें से अवगत करा सकें, साथ ही साथ विषम परिस्थिति में बचाव कार्य भी त्वरित रूप से सम्पादित कर सकें। आयोजित होने वाली “घाट चौपालों“ में नदी में स्नान हेतु सुरक्षित दूरी, नावों के परिचालन हेतु नियम, नाव पर सवार यात्रियों की संख्या व लाइफ जैकेट के उपयोग के सम्बन्ध में विचार विमर्श किया जायेगा। “घाट चौपालों“ में जनपद के टोल फ्री “हेल्पलाइन नम्बर 1077“ का प्रचार-प्रसार किया जायेगा तथा विभिन्न आपदाओं के सापेक्ष दी जाने वाली राहत सहायता के मानकों का व्यापक प्रचार-प्रसार किया जायेगा। चौपाल में प्रतिभाग किये गये न्यूनतम 30 लोगों के नाम व मोबाइल नम्बर का संग्रह कर एक व्हाट्सऐप ग्रुप बनाया जाये, जिसमें मौसम संबंधी चेतावनी, नदियों का जलस्तर की रियलटाइम जानकारी, नजदीकी सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र इत्यादि की जानकारी साझा की जाये। घाट चौपाल“ के दौरान आई०ई०सी० मैटेरियल को अवश्य रूप से ग्रामवासियों के समक्ष प्रदर्शित किया जाये ताकि किसी आपदा के दौरान क्या करें व क्या न करें के सम्बन्ध में उन्हें जागरूक किया जा सके। इसके अतिरिक्त मल्लाहों, नौका चालकों व गोताखोर/ तैराकों सहित आपदा से संबंधित अधिकारियों/ कार्मिकों के मोबाइल नं0 अनिवार्य रूप से एकत्र कर साक्षा किया जाऐं। घाट चौपाल का व्यापक प्रचार-प्रसार मीडिया तथा सोशल मीडिया के माध्यम से किया जाये ताकि जन सामान्य को अधिक से अधिक जागरूक किया जा सके।