JANTA KI PUKAR

फूड सेफ्टी एंड स्टैंडर्ड अथॉरिटी ऑफ इंडिया (FSSAI) ने उन सभी मीडिया रिपोर्ट्स का खंडन किया है, जिसमें यह दावा किया जा रहा था कि भारतीय फूड कंट्रोलर जड़ी-बूटियों और मसालों में तय मानक से 10 गुना ज्यादा कीटनाशक मिलाने की अनुमति देता है।

FSSAI ने एक प्रेस रिलीज में बताया कि ‘इस तरह की सभी खबरें झूठी और बेबुनियाद हैं। भारत में मैक्सिमम रेसेड्यू लेवल (MRL) यानी कीटनाशक मिलाने की लिमिट दुनियाभर में सबसे कड़े मानकों में से एक है। कीटनाशकों के MRL उनके रिस्क के आकलन के आधार पर अलग-अलग फूड मटेरियल के लिए अलग-अलग तय किए जाते हैं।

कुछ कीटनाशकों के लिए बढ़ाई थी लिमिट
हालांकि, FSSAI ने माना कि कुछ कीटनाशक, जो भारत में केंद्रीय कीटनाशक बोर्ड और रजिस्ट्रेशन कमेटी (CIB & RC) से रजिस्टर्ड नहीं हैं। उनके लिए यह लिमिट 0.01 mg/kg से 10 गुना बढ़ाकर 0.1 mg/kg की गई थी।

यह वैज्ञानिक पैनल के रिकमेंडेशन पर ही किया गया था। CIB & RC कीटनाशकों की मैन्युफैक्चरिंग, इंपोर्ट-एक्सपोर्ट, ट्रांसपोर्ट और स्टोरेज आदि को रेगुलेट करते हैं।

मिर्च पाउडर में माइक्लोबुटानिल की सीमा 2 mg/kg

  • मिर्च पाउडर में मिलाए जाने वाले माइक्लोबुटानिल के लिए CODEX ने 20 mg/kg की लिमिट तय की है। जबकि FSSAI इसे केवल 2 mg/kg तक मिलाने की परमिशन देता है।
  • एक अन्य पेस्टिसाइड स्पाइरोमेसिफेन के लिए CODEX ने 5 mg/kg की लिमिट किया है, FSSAI इसके लिए 1 mg/kg तक की ही अनुमति देता है।
  • काली मिर्च के लिए मेटालैक्सिल और मेटालैक्सिल-M के यूज के लिए कोडेक्स ने 2mg/kg का लिमिट तय है। जबकि, FSSAI इसे केवल 0.5mg/kg तक मिलाने की अनुमति देता है।
  • CIB और RC के पास 295 से ज्यादा कीटनाशक रजिस्टर्ड
    भारत में CIB और RC के पास 295 से ज्यादा कीटनाशक रजिस्टर्ड हैं। इनमें से 139 कीटनाशकों का इस्तेमाल मसालों में किया जा सकता है। जबकि, कोडेक्स ने टोटल 243 कीटनाशकों को एडॉप्ट किया है, इनमें 75 को मसालों में इस्तेमाल किया जा सकता है।

    कोडेक्स कंज्यूमर हेल्थ की रक्षा करने और फूड बिजनेस पर नजर रखने वाली एक ग्लोबल संस्था है। यह इंटरनेशनल सरकारी और गैर सरकारी संस्थाओं के बीच खाद्य मानकों को तय और लागू करने की अनुमति देता है।

    विदेशों में बैन और जांच का सामना कर रहे भारतीय मसाले
    पिछले महीने सिंगापुर, हॉन्गकॉन्ग और मालदीव ने भारतीय मसाला ब्रांड एवरेस्ट और MDH के कुछ मसालों की बिक्री पर रोक लगा दी थी। इसके बाद अमेरिकी फूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन (FDA) भी कंपनी के मसालों की जांच कर रहा है।

    FSSAI भी कर रहा मसाला कंपनियों और फैक्ट्रियों की जांच
    हाल ही में FSSAI ने भी मसाला पाउडर बनाने वाली कंपनियों की मैन्युफैक्चरिंग यूनिट्स का इंस्पेक्शन, सैंपलिंग और टेस्टिंग करने का आदेश दिया है। इसके अलावा फूड रेगुलेटर ने कहा कि सभी कंपनियों के प्रोडक्ट्स में एथिलीन ऑक्साइड की प्रेजेंस की भी जांच की जाएगी।

    MDH के तीन मसालों में मिला था ज्यादा एथिलीन ऑक्साइड
    हॉन्गकॉन्ग के फूड सेफ्टी डिपार्टमेंट ने कहा था कि MDH ग्रुप के तीन मसाला मिक्स- मद्रास करी पाउडर, सांभर मसाला पाउडर और करी पाउडर में एथिलीन ऑक्साइड की मात्रा ज्यादा पाई गई थी। वहीं एवरेस्ट के फिश करी मसाला में भी यह कार्सिनोजेनिक पेस्टिसाइड पाया गया था।

  • मसाले में क्यों करते हैं कीटनाशकों का इस्तेमाल?
    मसाले बनाने वाली कंपनियां एथिलीन ऑक्साइड सहित अन्य कीटनाशकों का उपयोग ई. कोली और साल्मोनेला जैसे बैक्टीरिया और फंगस से फूड आइटम्स को खराब होने से बचाने के लिए करती हैं। क्योंकि इन बैक्टीरिया के संपर्क में आने से मसालों की शेल्फ लाइफ बहुत छोटी हो सकती है। इन्हें लंबे समय तक खराब होने से बचाने पर रोक के बावजूद ये कंपनियां कीटनाशकों को प्रिजर्वेटिव या स्टेरेलाइजिंग एजेंट की तरह इस्तेमाल कर रही हैं

By PAKHI

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