BJP ने अपने फायर ब्रांड सांसद वरुण गांधी का टिकट काट दिया है। भाजपा ने पीलभीत लोकसभा सीट से उन्हें प्रत्याशी नहीं बनाया है। भाजपा ने इस बार पीलीभीत सीट से मंत्री जितिन प्रसाद को उम्मीदवार बनाया है। जितिन प्रसाद इस समय लोक निर्माण मंत्री हैं। 35 साल बाद पीलीभीत सीट पर चुनाव लड़ने से गांधी परिवार का विराम लग गया।
यूपी की जब 51 सीटों पर भाजपा ने प्रत्याशी घोषित किए थे तो उनमें पीलीभीत का नाम शामिल नहीं था। उसके बाद से हीं चर्चाएं चल रहीं थी और कयास लगाए जा रहे थे कि वरुण गांधी का टिकट कट रहा है।
उनकी टीम के कार्यकर्ताओं में भी पहली लिस्ट जारी होने के बाद ही खामोशी छाने लगी थी। जिसमें बताया जा रहा था कि वरुण गांधी से कई दिनों से बात नहीं हुई। लेकिन अब जारी सूची में उनका नाम नहीं रहा। इसका कारण माना जा रहा है कि वरुण गांधी लंबे समय से मोदी सरकार के निशाने पर थे। भाजपा हाईकमान ने इसी कारण से उनका टिकट काटा है।
गांधी परिवार की विरासत है यह सीट
पीलीभीत लोकसभा सीट को गांधी परिवार की विरासत वाली सीट समझा जाता है। इस सीट से 6 बार वरुण गांधी की मां मेनका गांधी सांसद रहीं हैं। 1989 में मेनका गांधी ने इस सीट पर पहली बार चुनाव लड़ा और वह जीतकर सांसद बनीं। पहली बार मेनका गांधी ने 1989 में इस सीट पर जनता दल से चुनाव लड़ा था।
हालांकि 1991 के लोकसभा चुनाव में मेनका गांधी भाजपा के परशुराम से चुनाव हार गईं थी। 1996 के चुनाव में फिर से मेनका गांधी जनता दल से लोकसभा चुनाव लड़ीं और वह सांसद बनीं। 1998 के लोकसभा चुनाव में मेनका गांधी निर्दलीय चुनाव लड़ी और जीतकर सांसद बनीं। 2004 में मेनका गांधी भाजपा से चुनाव लड़ीं और जीत दर्ज की।
2009 में पहली बार मेनका गांधी ने यहां अपने बेटे वरुण गांधी को मैदान में उतारा और वरुण गांधी ने भी जीत दर्ज की। 2014 के लोकसभा चुनाव में फिर से मेनका गांधी यहां भाजपा के टिकट पर चुनाव मैदान में उतरीं और चुनाव जीत गईं। लेकिन 2019 के चुनाव में फिर से वरुण गांधी को इस सीट पर उतारा। वरुण गांधी इस सीट पर दो बार सांसद बन चुके हैं।